Khli kitabSayari(खुली किताब शायरी )

खुली किताब शायरी 


खुली किताब का हर पन्ना फड़फड़ाया

जब तेज हवा का झोंका आया

तेरी यादों संग वो दर्द का मेला भी लाया

आखिर मैंने तुमसे दिल क्यों लगाया

हर जगह तेरा चेहरा नजर आया

तू बन गया अब मेरा साया 


तेरी दिल्लगी में  हमने खुद को मिटाया

खुद को अपना ही कातिल  बनाया

बीता पल भला किसका लौट के आया

 सब कुछ तेरे लिए  मैं पीछे छोड़ आया 


हर पल खुद को मैंने तेरी यादों में है जिया

हर पल तनहाई में तेरा ही नाम लिया 

अपना बना के  क्यों सीने से लगाया

इस पत्थर दिल को क्यों धड़काया

   

भरी महफिल थी पर तू नजर ना आया 

तू अपना कहाँ था पागल मन ना समझ पाया 

खुदा का भी तूने मुझे गुनाहगार बनाया 

आके चले गए सारे मौसम पर तू ना आया


खुली किताब का हर पन्ना फड़फड़ाया

जब तेज हवा का झोंका आया



          Written by Sahab


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