उम्मीद(Ummed)
उम्मीद
बरसों से जोड़ते रहे अरमान हम
कब होगा दोबारा जीने का दम
फिर भी टूटती रही सांसे हर बार
समझा नहीं किसी ने इस दर्द को
उसी दर्द को हम तक जीने की बनाने की कोशिश में जिंदगी से उम्मीदें जीते हैं
खफा हम हैं जिंदगी से
या जिंदगी हमसे खफा है
हम यह जानते नहीं है
ये दुनिया हमसे खफा है
या हम दुनिया से खफा है
ये भी हम नहीं जानते है
इसे के बारे में जानने की कोशिश में जिंदगी से उम्मीद लिए जीते हैं
Written by Sahab
My Sayari |
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